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15 august speech in hindi for 5th class: प्रिय पाठकों, आज का विषय हम पहले भी इस पटल पर देख चुके हैं, परंतु आज हम इस विषय को छोटे छात्र एवं छात्राओं पर केंद्रित करेंगे। यह दिन हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और शायद ही इस देश में कोई ऐसा विद्यालय होगा जहां इस दिवस को मनाया न जाता हो। प्राइमरी से लेकर सीनियर हाई स्कूल के बच्चे कोई न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम अवश्य आयोजित करते हैं। ऐसे में, आज यहाँ पांचवी कक्षा (अथवा कोई भी और छोटे छात्र व छात्राओं) के द्वारा स्वतंत्रता दिवस से सम्बंधित भाषण प्रस्तुत है। जैसे कि हम हमेशा करते हैं, आप इन लघु अनुच्छेदों में से चयन कर अथवा जोड़कर अपना भाषण तैयार कर सकते हैं।
15 अगस्त का महत्व
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन, 1947 में, भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली थी।
15 अगस्त का महत्व हमें यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कितने बलिदान दिए। महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं ने अपने जीवन को दांव पर लगाकर हमें आजादी दिलाई। उनके संघर्ष और बलिदान ने हमें एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश दिया।
यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपनी आजादी की कीमत समझनी चाहिए और इसे बनाए रखने के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने देश की सेवा करेंगे और इसे और महान बनाएंगे।
धन्यवाद।
स्वतंत्रता दिवस: हमारे देश की आजादी की कहानी
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन, 1947 में, भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। स्वतंत्रता दिवस हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष की याद दिलाता है, जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
हमारी आजादी की कहानी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से शुरू होती है, जब मंगल पांडे और रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीरों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया। इसके बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई महत्वपूर्ण आंदोलनों ने देश की स्वतंत्रता की नींव रखी।
भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे वीर नेताओं ने भी अपने साहस और दृढ़ संकल्प से स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी। उनकी कड़ी मेहनत और बलिदान के कारण ही 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
यह दिन हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी आजादी की कीमत समझनी चाहिए और इसे बनाए रखने के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने देश की सेवा करेंगे और इसे और महान बनाएंगे।
धन्यवाद।
महात्मा गांधी और उनका योगदान
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं महात्मा गांधी और उनके योगदान पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
महात्मा गांधी, जिन्हें हम बापू के नाम से भी जानते हैं, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण नेता थे। उनका जीवन और उनके सिद्धांत हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के माध्यम से ब्रिटिश शासन का विरोध किया और लोगों को भी इसी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
उनका असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह ब्रिटिश शासन के खिलाफ सबसे प्रभावी आंदोलन साबित हुए। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से लोगों को विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और खादी अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि आत्मनिर्भरता ही सच्ची स्वतंत्रता है।
गांधीजी ने न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि सामाजिक सुधारों पर भी जोर दिया। उन्होंने अस्पृश्यता, जातिवाद, और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई। उनके नेतृत्व में, लाखों लोग स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए और देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महात्मा गांधी के विचार और उनका योगदान आज भी हमें सिखाते हैं कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी गांधीजी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर अपने देश को और महान बनाएँ।
धन्यवाद।
रानी लक्ष्मीबाई की वीरता
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं रानी लक्ष्मीबाई की वीरता पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ। रानी लक्ष्मीबाई, जिन्हें झाँसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख और प्रेरणादायक हस्ती थीं।
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 में वाराणसी में हुआ था। उनका असली नाम मणिकर्णिका था, लेकिन प्यार से उन्हें मणु कहा जाता था। कम उम्र में ही उनकी शादी झाँसी के महाराजा गंगाधर राव से हुई और वे झाँसी की रानी बन गईं। जब 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी।
रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी छोटी सी सेना के साथ ब्रिटिश सेना का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने घोड़े पर सवार होकर तलवार चलाने की अद्वितीय क्षमता दिखाई और अपनी बहादुरी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उनकी वीरता और साहस ने उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम की प्रतीक बना दिया।
रानी लक्ष्मीबाई की अंतिम लड़ाई ग्वालियर के पास हुई, जहाँ उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उनके साहस और बलिदान की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी रानी लक्ष्मीबाई की वीरता को याद करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।
धन्यवाद।
भगत सिंह का बलिदान
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के बलिदान पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के एक छोटे से गाँव में हुआ था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति की भावना थी। वे महज 23 वर्ष की आयु में अपने देश के लिए शहीद हो गए, लेकिन उनका बलिदान और साहस आज भी हमें प्रेरणा देता है।
भगत सिंह ने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। वे क्रांतिकारी संगठन ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के सदस्य थे। 1928 में, उन्होंने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए सांडर्स की हत्या कर दी। इसके बाद, 1929 में, उन्होंने दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम फेंका, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार को संदेश देना था कि भारतीय युवा अपने देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
भगत सिंह और उनके साथियों, राजगुरु और सुखदेव, को 23 मार्च 1931 को फाँसी दी गई। उन्होंने अपने अंतिम क्षणों में भी देशभक्ति और साहस का परिचय दिया। भगत सिंह का बलिदान हमें यह सिखाता है कि देश की आजादी के लिए हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए और अपने देश के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी भगत सिंह के बलिदान को नमन करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।
धन्यवाद।
तिरंगे का महत्व और उसका इतिहास
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का महत्व और उसका इतिहास साझा करना चाहता हूँ।
तिरंगा हमारे देश की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। इसमें तीन रंग होते हैं – केसरिया, सफेद, और हरा। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के अदम्य साहस को दर्शाता है। सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है, जो महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को दर्शाता है। हरा रंग हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है, जो हमारे देश की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था और जीवन के विकास को दर्शाता है।
तिरंगे के बीच में अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं। यह धर्मचक्र हमारे प्राचीन सम्राट अशोक के समय से लिया गया है और यह प्रगति और निरंतरता का प्रतीक है। यह चक्र हमें याद दिलाता है कि हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
हमारा तिरंगा 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। इसे पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया था। यह ध्वज हमें एकता और अखंडता का संदेश देता है और हमें गर्व से भर देता है।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी तिरंगे का सम्मान करें और उसके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।
धन्यवाद।
स्वतंत्रता संग्राम में बच्चों की भूमिका
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “स्वतंत्रता संग्राम में बच्चों की भूमिका” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में बच्चों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भले ही छोटे थे, लेकिन उनके साहस और देशभक्ति का जज्बा किसी से कम नहीं था। बच्चों ने स्वतंत्रता संग्राम में अलग-अलग तरीकों से योगदान दिया।
कई बच्चों ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। जैसे कि मास्टर सूरजमल ने मात्र 12 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। चंद्रशेखर आजाद भी युवा अवस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। उनकी निडरता और बलिदान ने सभी को प्रेरित किया।
बच्चों ने अपने स्कूलों और समुदायों में स्वतंत्रता संग्राम के संदेश को फैलाने में भी मदद की। उन्होंने ब्रिटिश सामान का बहिष्कार किया, विदेशी वस्त्रों को जलाया और राष्ट्रीय आंदोलन के लिए धन जुटाने में भी मदद की। उनका उत्साह और समर्पण वयस्कों के लिए प्रेरणा का स्रोत था।
बच्चों की इस भूमिका ने यह साबित कर दिया कि स्वतंत्रता के लिए सभी उम्र के लोग एक साथ आ सकते हैं और बड़े बदलाव ला सकते हैं। उनकी कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि देशभक्ति और साहस उम्र की सीमा नहीं जानते।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी इन वीर बच्चों के योगदान को याद करें और उनके साहस और समर्पण से प्रेरणा लें।
धन्यवाद।
भारत की सांस्कृतिक विविधता
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “भारत की सांस्कृतिक विविधता” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
भारत विविधताओं का देश है, यहाँ अनेक भाषाएँ, धर्म, और संस्कृतियाँ मिलकर एक अनोखी और समृद्ध धरोहर बनाती हैं। हमारे देश में हर राज्य की अपनी अनूठी पहचान है, अपने रीति-रिवाज और परंपराएँ हैं। उत्तर में कश्मीर की खूबसूरती से लेकर दक्षिण में केरल की हरियाली तक, पूर्व में असम की चाय बागानों से लेकर पश्चिम में राजस्थान के रेगिस्तान तक, हर क्षेत्र की अपनी विशेषता है।
हमारे देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें हिंदी, तमिल, तेलुगू, बंगाली, गुजराती, मराठी और कई अन्य शामिल हैं। इन भाषाओं में न केवल संचार होता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोया जाता है।
भारत में सभी प्रमुख धर्मों के लोग रहते हैं – हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी। हर धर्म के अपने त्योहार और उत्सव होते हैं, जिन्हें हम सभी मिलकर धूमधाम से मनाते हैं। दीवाली, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व, और पोंगल जैसे त्योहार हमारी सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं।
हमारी सांस्कृतिक विविधता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यह हमें सिखाती है कि विविधता में ही सौंदर्य है और मिलजुलकर रहने में ही सच्ची खुशी है।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी अपनी सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करें और इसे संजोने का संकल्प लें।
धन्यवाद।
देशभक्ति की कहानियाँ
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “देशभक्ति की कहानियाँ” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
देशभक्ति की कहानियाँ हमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम के उन वीर नायकों की याद दिलाती हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आजादी दिलाई। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है भगत सिंह की, जिन्होंने मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए शहीद होकर युवाओं के दिलों में अमर हो गए। उनका साहस और बलिदान हमें यह सिखाता है कि अपने देश के लिए कुछ भी किया जा सकता है।
एक और प्रेरणादायक कहानी है रानी लक्ष्मीबाई की, जिन्होंने अपनी वीरता और साहस से ब्रिटिश सेना का सामना किया। उनकी लड़ाई का जोश और देशभक्ति का जज्बा आज भी हमें प्रेरित करता है।
सुभाष चंद्र बोस की कहानी भी बेहद प्रेरणादायक है। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का उनका नारा आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है। उनकी आजाद हिंद फौज ने स्वतंत्रता की लड़ाई को एक नई दिशा दी।
ऐसी अनेक कहानियाँ हैं जो हमें यह सिखाती हैं कि देशभक्ति का मतलब सिर्फ देश से प्रेम करना नहीं, बल्कि उसके लिए बलिदान देने की भावना रखना है।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम इन महान देशभक्तों की कहानियों को याद करें और उनसे प्रेरणा लेते हुए अपने देश की सेवा का संकल्प लें।
धन्यवाद।
स्वतंत्रता दिवस पर कविता
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “स्वतंत्रता दिवस पर कविता” प्रस्तुत करना चाहता हूँ।
स्वतंत्रता दिवस हमारे देश के लिए एक गर्व का दिन है। यह वह दिन है जब हमें ब्रिटिश शासन से मुक्ति मिली और हम स्वतंत्र राष्ट्र बने। इस दिन को मनाने के लिए, मैंने एक छोटी सी कविता तैयार की है जो हमारे देश की महानता और स्वतंत्रता संग्राम के वीरों को समर्पित है।
स्वतंत्रता का गीत
आज तिरंगा लहराए, मन में गर्व जगाए, वीरों की कुर्बानी को, दिल से हम अपनाएँ।
स्वतंत्रता का यह पर्व, लाए खुशियों की बहार, वीरों की कहानी, हमें करती है तैयार।
झांसी की रानी की, वीर गाथा गाएँ हम, भगत सिंह की शहादत को, सदा याद रखें हम।
गांधीजी के सत्य-अहिंसा की, सिखाएँगे बातें, नेहरू की योजनाएँ, हमारे सपनों की सौगातें।
आजादी के परवानों ने, दिखाया हमें मार्ग, हम भी चलें उस पथ पर, सच्चाई का हो भार्ग।
आओ मिलकर कसम लें, देश को आगे बढ़ाएँ, हर बच्चे के सपनों को, हम साकार बनाएँ।
इस स्वतंत्रता दिवस पर, यही है मेरी पुकार, मिल-जुलकर हम सभी, देश को करें साकार।
धन्यवाद।
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अनेक वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन की आहुति दी। उनमें से महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। उनके असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी।
भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव का बलिदान हमें यह सिखाता है कि देशभक्ति का जज्बा उम्र की सीमा नहीं जानता। केवल 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान भी अविस्मरणीय है। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का उनका नारा आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन कर स्वतंत्रता की लड़ाई को एक नया मोड़ दिया।
रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और बलिदान ने हमें दिखाया कि महिलाओं का साहस किसी से कम नहीं होता। उनके अदम्य साहस ने ब्रिटिश सेना को भी चौंका दिया।
बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें ‘लोकमान्य’ कहा जाता है, ने “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” का नारा देकर जनता में स्वतंत्रता की अलख जगाई।
इन सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता प्राप्त करना आसान नहीं था। हमें उनकी कुर्बानियों को कभी नहीं भूलना चाहिए और उनके आदर्शों पर चलकर अपने देश को और महान बनाना चाहिए।
धन्यवाद।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संघर्ष
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संघर्ष पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय नेता थे। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता और इंग्लैंड में प्राप्त की और भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में सफल भी हुए। लेकिन देश की सेवा के लिए उन्होंने इस प्रतिष्ठित पद को ठुकरा दिया।
नेताजी का मानना था कि आजादी बिना संघर्ष के नहीं मिल सकती। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभाई और “फॉरवर्ड ब्लॉक” की स्थापना की। जब अहिंसा के मार्ग से स्वतंत्रता प्राप्ति मुश्किल दिखी, तो उन्होंने सशस्त्र संघर्ष का रास्ता अपनाया।
नेताजी ने “आजाद हिंद फौज” की स्थापना की और “दिल्ली चलो” का नारा दिया। उनकी नेतृत्व क्षमता और अदम्य साहस ने हजारों भारतीय युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने जापान और जर्मनी से सहायता प्राप्त कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संघर्ष और बलिदान हमें यह सिखाता है कि देश की स्वतंत्रता के लिए हमें किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और देशभक्ति हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी नेताजी के संघर्ष को याद करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।
धन्यवाद।
भारत की आजादी के बाद की प्रगति
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “भारत की आजादी के बाद की प्रगति” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, और तब से लेकर आज तक हमने अनेक क्षेत्रों में अद्वितीय प्रगति की है। स्वतंत्रता के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और संविधान लागू किया, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक संविधान है।
कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति ने हमारे देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान की और हम अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बने। औद्योगिक क्षेत्र में भी हमने महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। भारतीय उद्योगों ने न केवल घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाई है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कई सफल मिशन पूरे किए हैं, जिनमें मंगलयान और चंद्रयान प्रमुख हैं। इसके अलावा, आईटी क्षेत्र में भी भारत ने अपनी छाप छोड़ी है और आज भारत को “विश्व का आईटी हब” माना जाता है।
स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी हमने महत्वपूर्ण प्रगति की है। एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान और आईआईटी, आईआईएम जैसे शिक्षण संस्थान हमारे युवाओं को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं।
भारत की प्रगति हमें यह सिखाती है कि मेहनत, समर्पण और सही दिशा में प्रयास से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने देश को और ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में योगदान देंगे।
धन्यवाद।
लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण होता है। स्वतंत्रता दिवस पर, लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री पूरे देश को संबोधित करते हैं, यह परंपरा हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री के संबोधन में हमारे देश की उपलब्धियों का जिक्र होता है, जिससे हमें अपने देश पर गर्व होता है। यह संबोधन हमें याद दिलाता है कि हमने कितनी दूर तक का सफर तय किया है और हमें किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नई योजनाओं और नीतियों की घोषणा करते हैं, जो हमारे देश के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
इस संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री हमें देशभक्ति, एकता, और भाईचारे का संदेश देते हैं। वे हमें यह प्रेरित करते हैं कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करें और देश की उन्नति में योगदान दें। प्रधानमंत्री का भाषण हमें यह भी सिखाता है कि हमें एकजुट होकर हर चुनौती का सामना करना चाहिए और अपने देश को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाना चाहिए।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी प्रधानमंत्री के संदेश को आत्मसात करें और अपने देश की सेवा के लिए तत्पर रहें।
धन्यवाद।
हमारे राष्ट्रीय प्रतीक और उनका महत्व
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय मित्रों,
आज हम 15 अगस्त के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। इस विशेष दिन पर, मैं “हमारे राष्ट्रीय प्रतीक और उनका महत्व” पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।
हमारे राष्ट्रीय प्रतीक हमारे देश की पहचान और गौरव का प्रतीक हैं। ये प्रतीक हमारे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और राष्ट्रीय महत्व को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रतीक हैं:
तिरंगा: हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा तीन रंगों से मिलकर बना है – केसरिया, सफेद और हरा। केसरिया साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद शांति और सत्य का, और हरा हरियाली और उन्नति का प्रतीक है। बीच में स्थित नीला अशोक चक्र प्रगति और धर्म का प्रतीक है।
राष्ट्रीय गान: “जन गण मन” हमारे देश का राष्ट्रीय गान है, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा है। यह गान हमारे देश की विविधता में एकता और हमारे राष्ट्रीय गर्व को दर्शाता है।
राष्ट्रीय प्रतीक: हमारा राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ है, जिसमें चार शेर खड़े हैं। यह प्रतीक शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास का प्रतीक है। इसके नीचे लिखा “सत्यमेव जयते” सत्य की जीत का प्रतीक है।
राष्ट्रीय पशु: बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शौर्य का प्रतीक है।
राष्ट्रीय पक्षी: मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है, जो सौंदर्य और गरिमा का प्रतीक है।
राष्ट्रीय फूल: कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है, जो पवित्रता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
हमारे ये राष्ट्रीय प्रतीक हमें अपने देश पर गर्व करने का मौका देते हैं और हमें यह याद दिलाते हैं कि हम एक महान सभ्यता और संस्कृति के हिस्से हैं। ये प्रतीक हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिलाते हैं और हमें एकजुट रहने की प्रेरणा देते हैं।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम अपने राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।
धन्यवाद।