21+ 2 Minute Speech Topics for Students in Hindi 2025

2 Minute Speech Topics for Students in Hindi
2 Minute Speech Topics for Students in Hindi

2 Minute Speech Topics for Students in Hindi: छात्रों को दो मिनट की भाषण विषय देना बहुत फायदेमंद होता है। इससे वे अपने विचार संक्षेप में और स्पष्ट रूप से व्यक्त करना सीखते हैं। यह समय प्रबंधन, आत्मविश्वास और मंच पर बोलने की कला विकसित करने में मदद करता है। छोटे भाषण विषय छात्रों को तैयारी के लिए प्रेरित करते हैं और उनकी सोचने व संप्रेषण क्षमता बढ़ाते हैं। साथ ही, यह अभ्यास उन्हें बड़ी प्रस्तुतियों के लिए तैयार करता है। दो मिनट का समय सीमित होता है, जिससे वे विषय की मुख्य बातों पर ध्यान देना सीखते हैं। यह एक सरल लेकिन प्रभावी शैक्षिक अभ्यास है।

समय का महत्व

सुप्रभात आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों।
आज मैं आपके सामने “समय का महत्व” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

समय सबसे कीमती चीज़ है, जो एक बार चला गया तो कभी वापस नहीं आता। पैसे की कमी हो सकती है, लेकिन समय की बर्बादी कभी वापस नहीं खरीदी जा सकती। जो विद्यार्थी समय का सही उपयोग करता है, वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

समय को बर्बाद करना, अपने सपनों को खोने जैसा है। हमें हर पल की कीमत समझनी चाहिए और उसे सही दिशा में लगाना चाहिए — पढ़ाई में, सीखने में, और खुद को बेहतर बनाने में।

एक कहावत है, “समय रहते चेत जाओ, नहीं तो पछताना पड़ेगा।” इसलिए हमें समय का आदर करना चाहिए, ताकि भविष्य हमारा आदर करे।

धन्यवाद।

असफलता से सीख

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “असफलता से सीख” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

जीवन में सफलता हर किसी को नहीं मिलती, लेकिन असफलता सभी के जीवन का हिस्सा होती है। असफलता दुखद हो सकती है, लेकिन यह हमें सुधारने, सीखने और आगे बढ़ने का अवसर देती है।

महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन ने बल्ब बनाने में हजारों बार असफलता का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा, “मैं असफल नहीं हुआ, मैंने 1000 तरीके सीखे जो काम नहीं करते।”

हमारी सबसे बड़ी गलती असफल होकर रुक जाना है। लेकिन जो असफलता से सीख लेता है, वही जीवन की असली परीक्षा में सफल होता है।

इसलिए, जब भी असफलता मिले, निराश न हों। उसे एक सीख की तरह अपनाएँ और फिर से कोशिश करें — पूरे विश्वास और साहस के साथ।

धन्यवाद।

आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएँ

नमस्कार सभी को,
आज मैं “आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएँ” इस विषय पर अपने विचार साझा करना चाहता हूँ।

आत्मविश्वास यानी खुद पर विश्वास। जब हमें खुद पर भरोसा होता है, तब हम कोई भी काम बिना डरे और पूरे उत्साह से कर पाते हैं। आत्मविश्वास हमारी सोच, बोलचाल और काम करने के तरीके में झलकता है।

आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सबसे पहले हमें नकारात्मक सोच को छोड़ना होगा। “मैं नहीं कर सकता” की जगह “मैं कोशिश करूंगा” कहना शुरू करें। छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें और उन्हें पूरा करने की आदत बनाएं। हर सफलता आत्मविश्वास को मजबूत करती है।

दूसरा, अपनी तैयारी पर ध्यान दें। जब आप तैयार होते हैं, तो डर अपने आप कम हो जाता है। और सबसे ज़रूरी – खुद से तुलना बंद करें, दूसरों से नहीं।

याद रखिए, आत्मविश्वास कोई जादू नहीं है — यह एक आदत है, जो रोज़ मजबूत होती है।

धन्यवाद।

सकारात्मक सोच की शक्ति

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “सकारात्मक सोच की शक्ति” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

सकारात्मक सोच यानी हर स्थिति में अच्छा देखने और सोचने की आदत। जब हम सकारात्मक सोचते हैं, तो हमारे अंदर आत्मविश्वास, साहस और ऊर्जा बढ़ती है। मुश्किल समय भी आसान लगने लगता है।

कई बार हम असफल होते हैं या मुश्किलों का सामना करते हैं, लेकिन अगर हमारी सोच सकारात्मक हो, तो हम हार मानने की बजाय, समाधान ढूंढते हैं।

सकारात्मक सोचने वाले लोग दूसरों को प्रेरणा देते हैं। वे अपने शब्दों और व्यवहार से माहौल को भी बेहतर बनाते हैं।

सकारात्मक सोच कोई जादू नहीं है, यह अभ्यास है। इसके लिए जरूरी है कि हम अच्छे विचार पढ़ें, अच्छे लोगों के साथ रहें और खुद को बार-बार याद दिलाएं कि “मैं कर सकता हूँ”।

अंत में यही कहूंगा — सोच बदलो, जीवन बदल जाएगा।

धन्यवाद।

लक्ष्य तय करना जरूरी क्यों है

नमस्कार आदरणीय अध्यापकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “लक्ष्य तय करना जरूरी क्यों है” इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

जीवन बिना लक्ष्य के वैसा ही है जैसे बिना दिशा की नाव। अगर हमें नहीं पता कि हम कहाँ जाना चाहते हैं, तो हम कभी भी मंज़िल तक नहीं पहुँच सकते। एक निश्चित लक्ष्य हमें प्रेरित करता है, दिशा देता है और मेहनत करने का कारण भी।

लक्ष्य तय करने से हम अपनी ऊर्जा और समय का सही उपयोग कर पाते हैं। यह हमें फोकस में रहने में मदद करता है और distractions से दूर रखता है।

छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर, उन्हें पूरा करते हुए हम बड़े सपनों को भी हासिल कर सकते हैं। जब लक्ष्य तय होता है, तब ही मेहनत का रास्ता साफ दिखता है।

इसलिए, अगर जीवन में सफलता चाहिए, तो सबसे पहले लक्ष्य तय कीजिए।

धन्यवाद।

मेहनत का कोई विकल्प नहीं

नमस्कार आदरणीय अध्यापकगण और मेरे प्यारे साथियों,
आज मैं “मेहनत का कोई विकल्प नहीं” इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

सपने हर कोई देखता है, लेकिन उन्हें पूरा वही करता है जो मेहनत करता है। किस्मत और प्रतिभा अपने स्थान पर हैं, लेकिन बिना मेहनत के कोई सफलता नहीं मिलती।

अभ्यास, लगन और निरंतर प्रयास ही जीवन में आगे बढ़ने की असली कुंजी हैं। किसान दिन-रात मेहनत करता है, तभी फसल उगती है। विद्यार्थी ईमानदारी से पढ़े, तभी अच्छे अंक आते हैं।

महान लोग जैसे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और महात्मा गांधी भी मेहनत की मिसाल हैं। उन्होंने कभी शॉर्टकट नहीं अपनाया।

याद रखिए, कोई भी रास्ता मेहनत से होकर ही गुजरता है। आलस, टालमटोल और बहानों से कुछ नहीं मिलेगा।

इसलिए, अगर जीवन में कुछ हासिल करना है, तो आज से ही मेहनत को अपना साथी बना लीजिए।

धन्यवाद।

खुद पर विश्वास

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,
आज मैं “खुद पर विश्वास” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

खुद पर विश्वास यानी आत्मविश्वास। जब हम अपने आप पर भरोसा करते हैं, तब हम कोई भी काम पूरे साहस और निडरता से कर पाते हैं। जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब लोग हमें नीचे गिराने की कोशिश करते हैं या हालात मुश्किल होते हैं। ऐसे समय में अगर हमें खुद पर भरोसा है, तो हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।

महान व्यक्तियों ने अपने आत्मविश्वास के बल पर ही असंभव को संभव बनाया है। अगर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को खुद पर विश्वास न होता, तो वे कभी वैज्ञानिक और राष्ट्रपति नहीं बन पाते।

याद रखिए, दुनिया तभी आप पर भरोसा करेगी जब आप खुद पर भरोसा करेंगे। खुद को कमजोर मत समझिए — आप कुछ भी कर सकते हैं।

धन्यवाद।

अनुशासन का महत्व

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “अनुशासन का महत्व” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

अनुशासन यानी समय पर सही काम करना, नियमों का पालन करना और खुद को नियंत्रित रखना। यह किसी भी व्यक्ति के सफल जीवन की नींव होता है। स्कूल हो या घर, खेल का मैदान हो या ऑफिस — अनुशासन हर जगह जरूरी है।

एक विद्यार्थी के लिए अनुशासन उतना ही जरूरी है जितना पढ़ाई। बिना अनुशासन के न तो हम समय पर पढ़ाई कर सकते हैं, न लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

अनुशासन हमें मेहनती, जिम्मेदार और भरोसेमंद बनाता है। यह आदत बन जाए तो जीवन आसान और सफल होता है।

जो जीवन में अनुशासन अपनाता है, वही आगे बढ़ता है और दूसरों के लिए मिसाल बनता है।

इसलिए दोस्तों, अगर हमें आगे बढ़ना है, तो आज से ही अनुशासन को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।

धन्यवाद।

डर को कैसे हराएं

नमस्कार आदरणीय अध्यापकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “डर को कैसे हराएं” इस विषय पर अपने विचार रखना चाहता हूँ।

डर हमारे मन का वह भाव है जो हमें कोशिश करने से रोकता है। कभी-कभी हमें परीक्षा का डर होता है, स्टेज पर बोलने का डर होता है या फिर असफल होने का डर। लेकिन सच यह है कि डर सिर्फ एक सोच है — और सोच बदली जा सकती है।

डर को हराने का सबसे अच्छा तरीका है उसका सामना करना। जब हम डर की वजह जानकर उस पर काम करते हैं, तो वह धीरे-धीरे कम हो जाता है। अच्छी तैयारी, आत्मविश्वास और लगातार अभ्यास से डर भागता है।

हमें यह समझना चाहिए कि डर हमें रोकता है, लेकिन हिम्मत हमें आगे ले जाती है। हर बार जब हम डर को हराते हैं, हम और मजबूत बनते हैं।

इसलिए दोस्तों, डरो मत — डटकर सामना करो।

धन्यवाद।

मोबाइल का पढ़ाई पर असर

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “मोबाइल का पढ़ाई पर असर” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

मोबाइल फोन आज हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। इससे हम ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं, जानकारी खोज सकते हैं और दुनिया से जुड़े रह सकते हैं। लेकिन अगर इसका सही तरीके से उपयोग न किया जाए, तो यह पढ़ाई में रुकावट भी बन सकता है।

अक्सर देखा गया है कि छात्र पढ़ाई करते समय भी सोशल मीडिया, गेम्स या वीडियो में उलझ जाते हैं। इससे ध्यान भटकता है, समय बर्बाद होता है और पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है।

इसलिए जरूरी है कि हम मोबाइल का इस्तेमाल सीमित और समझदारी से करें। पढ़ाई के समय मोबाइल से दूरी रखें और जरूरी जानकारी के लिए ही इसका प्रयोग करें।

मोबाइल एक साधन है — इसे साधन ही रहने दो, साध्य मत बनने दो।

धन्यवाद।

ऑनलाइन पढ़ाई – लाभ और हानि

नमस्कार आदरणीय अध्यापकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “ऑनलाइन पढ़ाई – लाभ और हानि” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

कोरोना महामारी के समय ऑनलाइन पढ़ाई हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत बन गई थी। इससे हम घर बैठे पढ़ाई कर सके, नए ऐप्स और वीडियो से सीखना आसान हुआ। ऑनलाइन शिक्षा ने तकनीकी ज्ञान बढ़ाया और समय की बचत भी की।

लेकिन इसके साथ कुछ हानियाँ भी हैं। स्क्रीन पर लंबे समय तक बैठने से आंखों पर असर पड़ता है। इंटरनेट की समस्या या मोबाइल की कमी से कई छात्र पीछे रह जाते हैं। साथ ही, ऑनलाइन पढ़ाई में अनुशासन की कमी और ध्यान भटकने की संभावना ज़्यादा होती है।

इसलिए हमें इसका उपयोग संतुलित तरीके से करना चाहिए। जहाँ एक ओर यह सुविधा है, वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारी भी है।

समझदारी से किया गया उपयोग ही ऑनलाइन पढ़ाई को सफल बना सकता है।

धन्यवाद।

परीक्षा के डर को कैसे कम करें

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “परीक्षा के डर को कैसे कम करें” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

परीक्षा का नाम सुनते ही कई छात्रों को डर लगने लगता है। यह डर हमारी तैयारी की कमी, आत्मविश्वास की कमी या पिछले अनुभवों की वजह से होता है। लेकिन अगर हम कुछ बातें ध्यान में रखें, तो इस डर को आसानी से कम कर सकते हैं।

सबसे पहले, हर दिन नियमित रूप से पढ़ाई करें, ताकि आखिरी समय में घबराहट न हो। दूसरा, अच्छी नींद और सही खानपान से शरीर और दिमाग दोनों स्वस्थ रहते हैं।

तीसरा, स्वयं पर विश्वास रखें। खुद से कहें – “मैं कर सकता हूँ।”

परीक्षा सिर्फ ज्ञान की जांच है, जीवन का अंत नहीं। डर को दोस्त बनाइए, दुश्मन नहीं।

धन्यवाद।

पढ़ाई और खेल में संतुलन

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “पढ़ाई और खेल में संतुलन” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

पढ़ाई और खेल दोनों हमारे जीवन के जरूरी हिस्से हैं। जहाँ पढ़ाई से हमें ज्ञान, करियर और भविष्य बनता है, वहीं खेल से शरीर स्वस्थ रहता है और मन तरोताजा रहता है।

अगर हम सिर्फ पढ़ाई करें और शरीर को सक्रिय न रखें, तो हम जल्दी थक जाते हैं और बीमार भी पड़ सकते हैं। दूसरी ओर, अगर हम केवल खेल में लगे रहें और पढ़ाई को भूल जाएँ, तो भविष्य में समस्याएँ आ सकती हैं।

इसलिए सबसे अच्छा तरीका है – दोनों में संतुलन बनाना। दिनचर्या ऐसी बनाएं जिसमें पढ़ाई के साथ खेल के लिए भी समय हो।

एक तेज दिमाग और एक स्वस्थ शरीर मिलकर ही हमें संपूर्ण सफलता दिला सकते हैं।

धन्यवाद।

शिक्षक का महत्व

नमस्कार आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,
आज मैं “शिक्षक का महत्व” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

शिक्षक हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक होते हैं। वे हमें न सिर्फ पढ़ाते हैं, बल्कि सही और गलत का अंतर भी सिखाते हैं। माता-पिता हमें जन्म देते हैं, लेकिन शिक्षक हमारे व्यक्तित्व को गढ़ते हैं।

एक अच्छा शिक्षक न केवल किताबों का ज्ञान देता है, बल्कि हमें जीवन जीने की कला भी सिखाता है। वे हमें आत्मविश्वास, अनुशासन और मूल्य सिखाते हैं जो जीवनभर काम आते हैं।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भी पहले एक शिक्षक थे, और उन्होंने कहा था – “शिक्षक देश का भविष्य बनाते हैं।”

इसलिए हमें अपने शिक्षकों का आदर करना चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। शिक्षक एक दीपक की तरह हैं जो खुद जलकर हमें रौशनी देते हैं।

धन्यवाद।

आदर्श विद्यार्थी कौन होता है?

नमस्कार आदरणीय अध्यापकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “आदर्श विद्यार्थी कौन होता है?” इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो समय का सम्मान करता है, नियमित रूप से पढ़ाई करता है और अपने माता-पिता व गुरुजनों का आदर करता है। वह केवल अच्छे अंक लाने पर ध्यान नहीं देता, बल्कि अच्छे संस्कार और व्यवहार को भी महत्व देता है।

एक आदर्श विद्यार्थी स्कूल के नियमों का पालन करता है, सभी विषयों को समान समझकर पढ़ता है और अपने साथियों की मदद करता है। उसमें जिज्ञासा होती है, सीखने की इच्छा होती है और मेहनत करने का जज़्बा होता है।

वह ना सिर्फ पढ़ाई में अच्छा होता है, बल्कि खेल, अनुशासन और ईमानदारी में भी आगे होता है।

हमें चाहिए कि हम भी ऐसा बनने की कोशिश करें – ताकि हम अपने परिवार, स्कूल और देश का नाम रोशन कर सकें।

धन्यवाद।

प्रतियोगिता का महत्व

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,
आज मैं “प्रतियोगिता का महत्व” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

प्रतियोगिता यानी अपने आपको बेहतर बनाने का अवसर। यह केवल जीतने या हारने का नाम नहीं है, बल्कि यह खुद को पहचानने और निखारने की प्रक्रिया है। जब हम प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, तो हम तैयारी करते हैं, मेहनत करते हैं, और नए अनुभवों से सीखते हैं।

प्रतियोगिता हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती है और हमें समय का सही उपयोग सिखाती है। यह हमें सिखाती है कि कैसे दबाव में शांत रहकर अपना सर्वश्रेष्ठ दें।

चाहे वह भाषण प्रतियोगिता हो, खेल हो या परीक्षा — हर प्रतियोगिता हमें मजबूत बनाती है। हार मिलने पर हम सीखते हैं, और जीत मिलने पर प्रेरणा।

इसलिए हमें हर प्रतियोगिता में भाग लेना चाहिए — नतीजों की चिंता किए बिना, सीखने की भावना के साथ।

धन्यवाद।

स्कूल के सुनहरे दिन

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,
आज मैं “स्कूल के सुनहरे दिन” विषय पर अपने भाव प्रकट करना चाहता हूँ।

स्कूल का समय हर किसी की ज़िंदगी का सबसे सुंदर और यादगार हिस्सा होता है। सुबह की प्रार्थना, दोस्तों के साथ हँसी-मज़ाक, लंच टाइम की मस्ती और टीचर्स की डाँट — ये सब यादें बन जाती हैं।

स्कूल में हमें सिर्फ किताबों से नहीं, जीवन से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अनुशासन, दोस्ती, संघर्ष, मेहनत — सब यहीं से शुरू होता है।

परीक्षा का डर भले ही लगता था, पर अब वो दिन भी याद आते हैं।

आज हम चाहे जहाँ भी हों, स्कूल के वो पल हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहते हैं। वे दिन सच में “सुनहरे” थे — जो दोबारा नहीं आते, पर हमेशा मुस्कान दे जाते हैं।

धन्यवाद।

विद्या का महत्व

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “विद्या का महत्व” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

विद्या यानी ज्ञान — और ज्ञान ही इंसान का सबसे बड़ा धन होता है। विद्या हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। यह सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें सोचने, समझने और सही निर्णय लेने की ताकत देती है।

विद्या से ही हम अच्छे इंसान बनते हैं, अपने जीवन को सफल बनाते हैं और समाज के लिए कुछ कर पाते हैं। बिना विद्या के जीवन अधूरा और दिशाहीन होता है।

भगवान भी हमें विद्या से पहले बुद्धि की प्रार्थना करने की सीख देते हैं। इसलिए हमें पढ़ाई को बोझ नहीं, अवसर समझकर अपनाना चाहिए।

विद्या ही वह शक्ति है जो ना छिन सकती है, ना खत्म हो सकती है। इसे जितना बाँटो, उतनी बढ़ती है।

आइए, विद्या को अपना सबसे बड़ा मित्र बनाएं।

धन्यवाद।

रटने की पढ़ाई बनाम समझने की पढ़ाई

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “रटने की पढ़ाई बनाम समझने की पढ़ाई” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

हममें से कई छात्र सिर्फ नंबर पाने के लिए रटते हैं। किताबें याद कर लेते हैं, लेकिन असली ज्ञान नहीं आता। रटी हुई बातें परीक्षा के बाद भूल जाते हैं, क्योंकि वो हमारे दिमाग में नहीं, सिर्फ याददाश्त में होती हैं।

वहीं दूसरी ओर, समझकर पढ़ाई करने से हम विषय की गहराई को जान पाते हैं। जब हम चीजों को समझते हैं, तो वो लंबे समय तक याद रहती हैं और हम उन्हें जीवन में भी इस्तेमाल कर पाते हैं।

समझने की पढ़ाई सोचने, सवाल करने और जवाब खोजने की आदत सिखाती है। यही सच्ची शिक्षा है।

इसलिए दोस्तों, सिर्फ याद मत करो — समझो, सोचो और सीखो। तभी हम असली विद्यार्थी बन पाएँगे।

धन्यवाद।

स्वच्छ भारत अभियान

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “स्वच्छ भारत अभियान” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी जी की जयंती पर की गई थी। इसका उद्देश्य है — हमारे देश को साफ, स्वच्छ और सुंदर बनाना। गांधी जी ने भी हमेशा सफाई पर ज़ोर दिया था और कहा था कि “स्वच्छता स्वतंत्रता से भी ज़्यादा जरूरी है।”

यह अभियान सिर्फ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सबकी ज़िम्मेदारी है। हमें अपने घर, स्कूल, गली और आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिए। कूड़ा-कचरा कूड़ेदान में डालना चाहिए, और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना चाहिए।

स्वच्छता से न केवल सुंदरता बढ़ती है, बल्कि बीमारियाँ भी कम होती हैं। अगर हम सब मिलकर सफाई का संकल्प लें, तो हमारा भारत सच में स्वच्छ और स्वस्थ बन सकता है।

धन्यवाद।

नारी सशक्तिकरण

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “नारी सशक्तिकरण” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

नारी सशक्तिकरण का अर्थ है — महिलाओं को शिक्षा, समान अवसर, सम्मान और आत्मनिर्भरता देना। एक सशक्त नारी न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाती है, बल्कि समाज और देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती है।

आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं — चाहे वह विज्ञान हो, खेल, राजनीति या सेना। फिर भी, कई जगह उन्हें भेदभाव, अत्याचार और असमानता का सामना करना पड़ता है।

हमें यह समझना होगा कि बेटियाँ बोझ नहीं, भारत की ताकत हैं। हर लड़की को पढ़ने, सोचने और अपने फैसले लेने का हक होना चाहिए।

जब एक नारी सशक्त होती है, तब पूरा परिवार, समाज और राष्ट्र मजबूत होता है।

आइए, हम सब मिलकर नारी सशक्तिकरण का समर्थन करें।

धन्यवाद।

बाल विवाह

नमस्कार आदरणीय शिक्षकगण और मेरे साथियों,
आज मैं “बाल विवाह” जैसे गंभीर विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

बाल विवाह का अर्थ है — लड़के या लड़की की कम उम्र में शादी कर देना। यह एक सामाजिक बुराई है, जो बच्चों का बचपन, शिक्षा और भविष्य छीन लेती है। भारत में बाल विवाह पर कानून से रोक है, लेकिन कुछ जगह आज भी यह कुप्रथा जारी है।

बाल विवाह से लड़कियों की सेहत, पढ़ाई और आत्मनिर्भरता पर बुरा असर पड़ता है। वे कम उम्र में माँ बन जाती हैं और अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पातीं।

हमें समाज को यह समझाना होगा कि बेटियाँ बोझ नहीं, शक्ति हैं। बच्चों की शादी की जगह उनकी शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना चाहिए।

आइए, हम सब मिलकर बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाएँ और बच्चों को उनका बचपन जीने दें।

धन्यवाद।

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